राजीव गांधी: भारत के युवा प्रधानमंत्री का जीवन, राजनीति और दुखद निधन
राजीव गांधी, भारत के सबसे युवा प्रधानमंत्री, केवल एक नेता नहीं बल्कि बदलती दुनिया के सपनों का प्रतिनिधि थे। उन्होंने भारत में तकनीकी प्रगति और शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कई अहम कदम उठाए। उनके समय में देश ने टेली कम्युनिकेशन और कंप्यूटर तकनीक में नई ऊँचाइयाँ छुईं। हालांकि, उनकी जिंदगी केवल उपलब्धियों तक सीमित नहीं थी; राजीव गांधी की मौत एक दुखद और अचानक मोड़ थी। 21 मई 1991 को श्रीरामेश्वरम में उनके ऊपर आत्मघाती हमले ने देश को झकझोर कर रख दिया। उनके व्यक्तिगत जीवन, राजनीतिक संघर्ष, और असामयिक निधन ने उन्हें भारतीय राजनीति में एक अमिट छवि दे दी। उनकी सोच और नीतियाँ आज भी युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।

Published on: 2 November 2025
Author: Dhananjay Singh
भारत के सबसे युवा प्रधानमंत्री का जन्म और बचपन
राजीव गांधी का जन्म 20 अगस्त 1944 को हुआ था। वे भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और राजनेता फिरोज़ गांधी के बड़े बेटे थे। बचपन में ही उन्हें जीवन की चुनौतियों और जिम्मेदारी का अनुभव मिला। वे पढ़ाई में होशियार और खेलों में सक्रिय थे। राजीव के लिए शिक्षा और अनुशासन का महत्व उनके परिवार और परिवेश से तय हुआ।
शुरुआती जीवन में राजीव ने पायलट बनने की ट्रेनिंग ली और विमानन क्षेत्र में काम किया। उनके पिता फिरोज़ गांधी के राजनीतिक दृष्टिकोण और मां इंदिरा गांधी की नेतृत्व क्षमता ने उन्हें हमेशा प्रेरित किया। हालांकि, राजीव गांधी कभी राजनीति में गंभीरता से नहीं सोचे थे, लेकिन उनके जीवन में आने वाला एक दुखद मोड़ उनकी पूरी जिंदगी बदल देगा।
राजनीति की ओर कदम
1984 में भारत ने एक ऐसा क्षण देखा, जब देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या कर दी गई। इस घटना ने पूरे देश को हिला दिया। उस समय राजीव गांधी महज 40 वर्ष के थे, लेकिन उन्हें अचानक प्रधानमंत्री बनने का मौका मिला। उनके लिए यह जिम्मेदारी और व्यक्तिगत दुख दोनों ही बहुत भारी थे।
राजीव गांधी का नेतृत्व युवा था और आधुनिक सोच वाला। उन्होंने देश के लिए कई महत्वपूर्ण सुधारों की नींव रखी। उनका मानना था कि भारत को विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने टेली-कॉम, कंप्यूटर, और ग्रामीण विकास जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण पहल की।
नेतृत्व और चुनौतीपूर्ण राजनीति
राजीव गांधी ने देश को आधुनिक बनाने की दिशा में कई कदम उठाए। उनके प्रयासों में सूचना तकनीक का विकास, दूरसंचार सुधार, और नई नीति निर्माण शामिल थे। उन्होंने विदेशी निवेश को प्रोत्साहित किया और भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक नई पहचान दिलाई।
लेकिन उनके सुधारों से कुछ समूह असहमत थे। विशेष रूप से श्रीलंका में LTTE का खतरा बढ़ रहा था। उनकी नीतियों और राजनीति विरोधियों ने उन्हें हमेशा चुनौती दी। इसके बावजूद, राजीव गांधी ने जनता के बीच रहकर देश की सेवा करना जारी रखा। वे चुनावी सभाओं में सीधे जनता से मिलते, उनके सवाल सुनते और व्यक्तिगत रूप से समस्याओं को समझते थे।
सुरक्षा में कमी और खतरे की आशंका
राजीव गांधी हमेशा जनता के करीब रहना चाहते थे। लेकिन यह उनके लिए खतरे का कारण भी बना। सुरक्षा में कुछ खामियों के चलते, विरोधी ताकतों को उन्हें नुकसान पहुंचाने का अवसर मिल गया। उनके जीवन में राजनीति की गहराई और उनके विरोधियों की चालें उनके लिए हमेशा चुनौती बनकर खड़ी रही।
उनकी सुरक्षा में कई सुरक्षा एजेंसियों की तैयारी के बावजूद खामियां थीं। राजीव गांधी चाहते थे कि वे जनता से सीधे जुड़े रहें, लेकिन यही आदत उनके लिए घातक साबित हुई।
21 मई 1991: एक दुखद क्षण
21 मई 1991 की शाम तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में एक चुनावी सभा हो रही थी। राजीव गांधी जनता के बीच थे। इसी दौरान एक महिला आत्मघाती बमबाज़, कैलावानी राजारत्नम, उनके पास पहुंची। उसके कमर में बंधा बम अचानक फट गया।
इस धमाके में राजीव गांधी की मृत्यु हो गई। इस हमले में लगभग 14 अन्य लोग भी मारे गए। तत्कालीन मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह हमला LTTE की साज़िश का हिस्सा था। महीनों की योजना और बमबाज़ की रणनीति ने यह हमला संभव बनाया।
हत्या की साज़िश के पीछे
जांच में यह सामने आया कि यह हत्या अचानक नहीं हुई थी। LTTE ने इस हमले को लंबे समय तक योजना बनाकर अंजाम दिया। राजीव गांधी की श्रीलंका नीतियों और राजनीतिक निर्णयों ने LTTE को नाराज किया।
विरोधी ताकतों और खतरनाक संगठनों ने उनकी हत्या को अंजाम देने के लिए महीनों तैयारी की। यह हमला यह साबित करता है कि नेतृत्व में हमेशा खतरे रहते हैं, और बदलाव की राह आसान नहीं होती।
मृत्यु और तत्काल प्रतिक्रिया
राजीव गांधी को तुरंत दिल्ली के AIIMS अस्पताल ले जाया गया। लेकिन गंभीर चोटों के कारण उन्हें बचाया नहीं जा सका। 24 मई 1991 को उनका अंतिम संस्कार हुआ। उनकी मौत ने देश को झकझोर कर रख दिया।
इस हमले के बाद पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों ने व्यापक जांच शुरू की। कई आरोपियों को गिरफ्तार किया गया और उन्हें सजा हुई। इसके बावजूद, यह घटना भारतीय राजनीति के इतिहास में हमेशा याद रखी जाएगी।
राजीव गांधी की विरासत
राजीव गांधी का जीवन और उनकी मृत्यु हमें याद दिलाती है कि नेतृत्व का मतलब केवल सत्ता नहीं, बल्कि जनता के बीच जाना और उनके लिए काम करना भी होता है। उनके द्वारा शुरू किए गए तकनीकी और विकास कार्य आज भी भारत में दिखाई देते हैं।
उनकी मृत्यु ने भारत को नुकसान पहुंचाया, लेकिन उनके विचार और प्रयास आज भी प्रेरणा देते हैं। वे एक ऐसे नेता थे जिन्होंने अपने देश के भविष्य के लिए सोचने और काम करने की दृष्टि रखी।
राजीव गांधी के लिए खास बातें
- युवाओं और शिक्षा का महत्व
- राजीव गांधी हमेशा युवाओं और शिक्षा के पक्षधर रहे। उन्हें लगता था कि भारत का भविष्य युवाओं के हाथों में है। यही कारण था कि उन्होंने कंप्यूटर शिक्षा और तकनीकी प्रशिक्षण को बढ़ावा दिया। उनके लिए युवा सशक्तिकरण सिर्फ नारा नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय आवश्यकता थी।
- देश की आधुनिकता और प्रौद्योगिकी
- राजीव गांधी का दृष्टिकोण था कि भारत को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी में तेजी से आगे बढ़ना होगा। उन्होंने दूरसंचार और सूचना प्रौद्योगिकी में कई सुधार किए, जिससे भारत की तकनीकी नींव मजबूत हुई।
- समानता और एकता
- वे देश में साम्प्रदायिक सद्भाव और सामाजिक समानता के लिए भी प्रतिबद्ध थे। उनके लिए भारत की एकता और अखंडता सबसे बड़ी प्राथमिकता थी।
- लोकतंत्र और जन सेवा
- राजीव गांधी हमेशा मानते थे कि नेता का असली काम जनता की सेवा करना है, न कि सिर्फ पद का आनंद लेना। उनका दृष्टिकोण था कि राजनीति का उद्देश्य देश को सुधारना और नागरिकों के जीवन को बेहतर बनाना होना चाहिए।
- परिवार और जिम्मेदारी
- राजीव गांधी ने अपने परिवार की राजनीति से जुड़े दायित्वों को हमेशा गंभीरता से लिया। उनके लिए परिवार की विरासत सिर्फ शक्ति नहीं, बल्कि देश के लिए जिम्मेदारी का प्रतीक थी।
- साहस और जोखिम लेने की क्षमता
- प्रधानमंत्री के रूप में राजीव गांधी ने कई मुश्किल निर्णय लिए, चाहे वह आपातकालीन परिस्थितियाँ हों या राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे। उनके लिए जोखिम लेना और साहस दिखाना नेतृत्व का हिस्सा था।
निष्कर्ष
राजीव गांधी की कहानी केवल एक नेता की कहानी नहीं है, बल्कि एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है जिसने देश को बदलने की कोशिश की। उनकी हत्या और राजनीतिक चुनौतियाँ यह साबित करती हैं कि नेतृत्व आसान नहीं होता। उनकी विरासत और योगदान आज भी भारतीय राजनीति और समाज के लिए महत्वपूर्ण हैं।
राजीव गांधी का जीवन और उनका दुखद अंत हमेशा हमारे लिए एक प्रेरणा रहेगा कि देश सेवा और नेतृत्व में साहस, समर्पण और जोखिम हमेशा जुड़े रहते हैं।
Frequently Asked Questions (FAQ) – Rajiv Gandhi
Q1: राजीव गांधी कौन थे?
A1: राजीव गांधी भारत के सबसे युवा प्रधानमंत्री थे। वे इंदिरा गांधी के पुत्र और पंडित जवाहरलाल नेहरू के पोते थे। उनका कार्यकाल 1984 से 1989 तक रहा और उन्होंने देश में तकनीकी और दूरसंचार क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण सुधार किए।
Q2: राजीव गांधी की हत्या कब और कैसे हुई?
A2: राजीव गांधी की हत्या 21 मई 1991 को श्रीपेरंबदूर, तमिलनाडु में हुई। वे एक चुनावी रैली में शामिल हो रहे थे, तभी एक आत्मघाती हमलावर ने उनके पास बम विस्फोट कर दिया।
Q3: राजीव गांधी की मौत का कारण क्या था?
A3: उनकी हत्या राजनीतिक और आतंकवादी कारणों से हुई। दक्षिण भारत के कुछ आतंकवादी समूहों ने उनके खिलाफ इस हत्या की योजना बनाई।
Q4: क्या राजीव गांधी के कोई राजनीतिक दुश्मन थे?
A4: हाँ, उनके कार्यकाल में कई राजनीतिक विरोधी थे, जिन्हें उनकी नीतियाँ और लोकप्रियता मंजूर नहीं थी। यह विरोध कुछ हद तक उनकी हत्या से भी जुड़ा था।
Q5: राजीव गांधी का सबसे बड़ा योगदान क्या था?
A5: राजीव गांधी ने देश में दूरसंचार और कंप्यूटर शिक्षा को बढ़ावा दिया। उन्होंने युवा सशक्तिकरण और ग्रामीण विकास पर भी ध्यान दिया।
Q6: राजीव गांधी किस उम्र में प्रधानमंत्री बने?
A6: राजीव गांधी 40 साल की उम्र में भारत के प्रधानमंत्री बने। वे देश के सबसे युवा प्रधानमंत्री रहे हैं।
Q7: राजीव गांधी की हत्या के बाद भारत में क्या प्रभाव पड़ा?
A7: उनकी हत्या ने देश को झकझोर कर रख दिया। राजनीतिक अस्थिरता, सुरक्षा चिंताएँ और चुनावी माहौल प्रभावित हुए। साथ ही उनके योगदान को याद कर लोग उन्हें प्रेरणा के रूप में देखते हैं।
Q8: राजीव गांधी की विरासत आज भी क्यों महत्वपूर्ण है?
A8: उनके दूरदर्शी दृष्टिकोण और तकनीकी सुधार आज भी भारत में उपयोगी हैं। युवाओं में राजनीति और विज्ञान के प्रति उत्साह उनके योगदान का सबसे बड़ा प्रमाण है।
Q9: राजीव गांधी के जीवन से हम क्या सीख सकते हैं?
A9: उनका जीवन सिखाता है कि नेतृत्व केवल पद का नाम नहीं बल्कि देश और समाज के लिए सुधार और विकास की दिशा में उठाए गए कदमों का परिणाम है।
Q10: क्या राजीव गांधी की हत्या किसी बड़े राजनीतिक संगठन से जुड़ी थी?
A10: हाँ, उनकी हत्या दक्षिण भारत के कुछ आतंकवादी समूहों और राजनीतिक विरोधियों से जुड़ी थी। यह घटना भारतीय राजनीति और आतंकवाद के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ है।
Dhananjay Singh
Professional Content Writer, Researcher & Visionary Storyteller
"तरक्की को चाहिए नया नज़रिया—और यह नज़रिया शब्दों से शुरू होता है।"
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