ट्रंप का विवादित दावा: “Anmol भारत-पाकिस्तान युद्ध को 250% टैरिफ धमकी से रोका” — सच्चाई क्या है

यह मामला उस बयान से जुड़ा है जो अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 28 अक्टूबर 2025 को दक्षिण कोरिया में आयोजित APEC CEO Summit के दौरान दिया। अपने भाषण में ट्रंप ने दावा किया कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध जैसी स्थिति को खुद रोक लिया, और ऐसा उन्होंने “250% व्यापारिक टैरिफ की धमकी देकर” किया। ट्रंप के शब्दों में:

By Dhananjay Singh
ट्रंप का विवादित दावा: “Anmol भारत-पाकिस्तान युद्ध को 250% टैरिफ धमकी से रोका” — सच्चाई क्या है


🔹 घटना की पृष्ठभूमि — कहानी कहाँ से शुरू हुई?

यह मामला उस बयान से जुड़ा है जो अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 28 अक्टूबर 2025 को दक्षिण कोरिया में आयोजित APEC CEO Summit के दौरान दिया।

अपने भाषण में ट्रंप ने दावा किया कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध जैसी स्थिति को खुद रोक लिया, और ऐसा उन्होंने “250% व्यापारिक टैरिफ की धमकी देकर” किया।

ट्रंप के शब्दों में:

“मैंने भारत से कहा — अगर तुम पाकिस्तान पर मिसाइलें चला रहे हो तो हम तुम्हारे साथ कोई व्यापार नहीं करेंगे।
और पाकिस्तान से कहा — अगर तुम भारत से लड़ रहे हो तो हम तुम्हें कोई सहायता नहीं देंगे।”

उन्होंने यह भी कहा कि उस समय “दोनों देशों ने एक-दूसरे के सात विमान गिराए”, और स्थिति “परमाणु युद्ध जैसी” हो गई थी।

🔹 ट्रंप के दावे की हकीकत — भारत का जवाब क्या था?

ट्रंप के इस बयान के कुछ घंटों के अंदर ही भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने एक स्पष्ट बयान जारी किया।

भारत ने कहा कि:

“भारत-पाकिस्तान के बीच उस समय कोई ऐसा संघर्ष नहीं था जिसे अमेरिका की किसी चेतावनी या दबाव से रोका गया हो।
भारत की कार्रवाई अपने रणनीतिक उद्देश्यों के तहत की गई थी, किसी विदेशी हस्तक्षेप से नहीं।”

सरकारी सूत्रों ने बताया कि उस समय भारत ने “Operation Sindoor” के तहत पाकिस्तान की आतंकी गतिविधियों पर जवाबी कार्रवाई की थी,

और जब सैन्य लक्ष्य पूरे हो गए, तभी DGMO स्तर की बातचीत के बाद सीजफायर घोषित किया गया।

किसी भी व्यापार वार्ता या “ट्रेड इनसेंटिव” जैसी कोई बातचीत उस दौरान नहीं हुई थी — जैसा कि ट्रंप ने दावा किया।

🔹 भारत-अमेरिका संबंध उस समय कैसे थे?

2025 की शुरुआत में, भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक वार्ता चल रही थी।

दोनों देशों के बीच कुछ मुद्दों पर मतभेद थे, जैसे:

  • अमेरिकी मक्का और बायो-फ्यूल निर्यात पर भारत का रुख,
  • भारत का रूसी तेल आयात जारी रखना,
  • अमेरिकी कंपनियों पर भारत की डेटा प्राइवेसी और टैक्स नीतियाँ

हालाँकि, मई 2025 में भारत-पाकिस्तान सीमा पर तनाव बढ़ने के बावजूद, भारत ने अमेरिका के साथ किसी भी “मध्यस्थता” की गुंजाइश नहीं छोड़ी।

भारत ने हमेशा यह कहा कि पाकिस्तान से उसके संबंध द्विपक्षीय हैं, किसी तीसरे देश की भूमिका स्वीकार्य नहीं।

🔹 अमेरिका वास्तव में क्या चाहता है भारत से?

आज की परिस्थिति में, अमेरिका की भारत के प्रति नीति “दोहरी रणनीति” जैसी दिखती है।

एक ओर अमेरिका भारत को रणनीतिक साझेदार (Strategic Partner) मानता है —

जैसे कि Quad गठबंधन (India, US, Japan, Australia) में भारत की भूमिका बढ़ाना,

5G, AI, और सेमीकंडक्टर क्षेत्र में साझेदारी करना,

लेकिन दूसरी ओर अमेरिका यह भी चाहता है कि भारत रूस और ईरान से दूरी बनाए

अमेरिका की यह सोच स्पष्ट है:

“भारत को व्यापारिक और रक्षा साझेदार के रूप में रखें,
लेकिन उसकी स्वतंत्र विदेश नीति पर सीमाएँ तय करें।”

यह मानसिकता वही पुरानी “Western Leverage Policy” है — जिसमें पश्चिमी देश चाहते हैं कि भारत उनके हितों के अनुरूप निर्णय ले।

🔹 क्या मोदी जी फिर से ट्रंप के बयानों में आएंगे?

यह सवाल राजनीतिक रूप से दिलचस्प है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रंप की व्यक्तिगत दोस्ती पहले से जानी जाती है।

ट्रंप ने कई बार कहा कि मोदी “a very tough but nice guy” हैं।

लेकिन भारत की विदेश नीति अब पहले जैसी नहीं —

भारत अब हर देश से “Equitable Diplomacy” यानी समान स्तर की कूटनीति रखता है।

मोदी सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में बार-बार यह स्पष्ट किया है कि:

“भारत का निर्णय भारत स्वयं लेता है,
किसी भी देश के दबाव में नहीं।”

इसलिए संभावना बहुत कम है कि मोदी जी ट्रंप के किसी भी दावे या “व्यापारिक धमकी” से प्रभावित हों।

भारत अब Self-Reliant Diplomacy की दिशा में आगे बढ़ चुका है।

🔹 ट्रंप के बयान के पीछे की राजनीति

डोनाल्ड ट्रंप का यह बयान ऐसे समय आया जब वे 2026 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव की तैयारी कर रहे हैं।

अमेरिका में इस तरह के बयान “Strongman Image” दिखाने के लिए दिए जाते हैं।

ट्रंप चाहते हैं कि अमेरिकी मतदाता उन्हें एक ऐसे नेता के रूप में देखें जो “दुनिया के युद्ध रोक सकता है” और “अमेरिका को महान बना सकता है।”

लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऐसे दावे राजनयिक रूप से गलत माने जाते हैं।

भारत, रूस, और चीन जैसे देश इस तरह के “Self-Glorifying Statements” को

एक तरह का “अंतरराष्ट्रीय दबाव तंत्र” मानते हैं।

🔹 विश्लेषण — ट्रंप का बयान क्यों खतरनाक है?

  1. राजनयिक हस्तक्षेप का भ्रम:
  2. ऐसे बयान से लगता है कि भारत अपनी सीमाओं पर अमेरिकी दबाव से निर्णय लेता है,
  3. जबकि हकीकत उलट है।
  4. परमाणु तनाव का गलत चित्रण:
  5. ट्रंप ने कहा कि “न्यूक्लियर डिजास्टर टला” — जबकि भारत और पाकिस्तान दोनों ने उस समय अपने
  6. परमाणु हथियारों की तैनाती में कोई बदलाव नहीं किया था।
  7. व्यापार को हथियार बनाना:
  8. 250% टैरिफ धमकी का दावा यह दर्शाता है कि ट्रंप अंतरराष्ट्रीय व्यापार को भी
  9. राजनीतिक दबाव के औज़ार की तरह इस्तेमाल करना चाहते थे।
  10. भारत की संप्रभुता पर प्रश्न:
  11. ऐसा बयान अप्रत्यक्ष रूप से भारत की स्वतंत्र नीति पर प्रश्नचिन्ह लगाता है,
  12. जो भारत को स्वीकार्य नहीं।

🔹 निष्कर्ष — भारत की आवाज़ अब पहले से ज़्यादा मज़बूत है

आज का भारत वह नहीं जो 20 साल पहले था।

भारत अब न तो “सिर्फ उपभोक्ता बाज़ार” है,

न ही किसी का “स्ट्रेटेजिक पॉन”।

भारत की आर्थिक ताकत, वैश्विक साख और राजनीतिक स्थिरता ने उसे

स्वतंत्र विदेश नीति वाला राष्ट्र बना दिया है।

डोनाल्ड ट्रंप जैसे नेता चाहे कितनी भी बातें करें,

पर वास्तविकता यही है कि भारत की सेना, कूटनीति और जनता —

किसी भी बाहरी शक्ति से प्रभावित हुए बिना अपने निर्णय स्वयं लेती है

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Dhananjay Singh

Professional Content Writer, Researcher & Visionary Storyteller

"तरक्की को चाहिए नया नज़रिया—और यह नज़रिया शब्दों से शुरू होता है।"

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