How Hurricanes Form – The Science Behind Tropical Cyclone...
Hurricanes are powerful marine storms that develop when warm ocean waters fuel rapid evaporation, creating towering clouds and intense low‑pressure systems. ...

जब मैं कहता हूँ “हरिकेन”, तो इसका मतलब है एक शक्तिशाली समुद्री तूफान — बहुत-उच्च हवाओं वाला, भारी बारिश और सागर में उछाल लाने वाला। ऐसे तूफान की सही समय पर जानकारी होने से जीवन और संपत्ति दोनों की रक्षा बहुत हद तक संभव हो जाती है। तो आइए विस्तार से जानें कि यह प्रक्रिया कैसे काम करती है — आपकी भाषा में, जैसे हम आपस में बातचीत कर रहे हों।
1. हरिकेन कैसे बनता है
जब गर्म समुद्री पानी तेजी से वाष्पित होता है, उसमें नमी बहुत से आती है और ऊपर उठती है। ऊपर उठते हुए वाष्पित पानी ठंडा होकर बादल बनाता है, फिर बर्फ के कण भी बन सकते हैं — इस तरह बहुत विशाल बारिश-बादल वाले क्लस्टर बनते हैं। यह पूरा सिस्टम घूर्णन शुरू कर सकता है — गहरे दबाव का केन्द्र बनता है, हवाएँ तेज हो जाती हैं। अगर हवाएँ लगातार लगभग 74 मील/घंटा (≈ 119 किलोमीटर/घंटा) से ऊपर हो जाएँ, तो उस स्थिति को “हरिकेन” कहा जाता है। nesdis.noaa.gov
यानी---
- गर्म पानी → अधिक वाष्प → बादल और बारिश बनना
- बड़े क्लस्टर के अंदर घूर्ण-प्रवाह की शुरुआत
- दबाव कम होना, हवाएँ तेज होना
- अंततः हरिकेन की उत्पत्ति
2. हम इसे कैसे ट्रैक करते हैं — देखो, यह इतना मुश्किल नहीं जैसा लगता
(i) उपग्रह-नज़रसबसे पहले और मुख्य तरीका है: सैटेलाइट्स। ये अंतरिक्ष में बैठे होते हैं और लगातार दिखाते हैं कि तूफान अभी कहाँ है, कैसे घूम रहा है, उसकी आँख (eye) कितनी स्पष्ट है, कितनी बड़ी है। इससे हमें यह पता चलता है कि यह कितना खतरनाक हो सकता है और कहाँ बढ़ रहा है।nesdis.noaa.gov
(ii) हवाइ जहाज-उड़ान (हंटर विमान)कुछ विशेष विमान होते हैं जिन्हें “हरिकेन हंटर” कहा जाता है, जो सीधे तूफान के अंदर दाखिल होते हैं। वहाँ से वे हवा का दबाव, तापमान, नमी, हवाओं की गति जैसे डेटा इकट्ठा करते हैं — इस जानकारी से यह समझने में मदद मिलती है कि तूफान ने कितना दम बनाया है और कब तक और तेज हो सकता है। publicsafety.ieee.org
(iii) मॉडल-सिमुलेशन और कंप्यूटर का काम
उपग्रह व विमान से मिले डेटा को बड़े-बड़े कंप्यूटर मॉडल में डाला जाता है — यह मॉडल भविष्यवाणी करते हैं: “यह तूफान अगले 3-5 दिन में कहाँ जा सकता है”, “हवाएँ कितनी होंगी”, “किस जगह पर लैंडफॉल (तट-स्पर्श) हो सकती है” आदिWikipedia
इन मॉडल्स को “स्पैगेटी मॉडल्स” भी कह सकते हैं, जहाँ बहुत-से संभावित ट्रै-जिस एक मैप पर दिखते हैं — इससे यह समझने में मदद मिलती है कि कितनी अनिश्चितता है। HowStuffWorks
(iv) “कोन” ग्राफिक (Forecast Cone)
जब मौसम विभाग (जैसे National Hurricane Center) ट्रैक जारी करता है, तो एक कोन ग्राफिक दिखाता है — जिसमें यह बताया जाता है कि तूफान के केंद्र के आने-जाने की आशंका इस क्षेत्र के भीतर है। इस कोन में लगभग 60-70 % समय तूफान का केंद्र आ जाता है। National Hurricane Center
3. ट्रैकिंग से जुटा हुआ डेटा किस-किस को मिलता है और किसलिए
- राष्ट्रीय मौसम विभाग / तूफान केंद्र (National / Regional Meteorological Agencies) → उन्हें तुरंत मौसम चेतावनी जारी करनी होती है।
स्थानीय प्रशासन (सेवाएं-आपदा प्रबंधन) → उन्हें तय-करना होता है कि कहाँ-कहाँ लोग सुरक्षित स्थानों पर भेजें, स्कूल-कॉलेज बंद करें, सड़कें बंद करें।मीडिया एवं जन-संचार-संस्थाएँ → जनता को समय-समय पर अपडेट देते हैं कि कब कहाँ जाना है, क्या सावधानी रखना है।जनता (आप-हम) → यह जानकारी हमें सुरक्षित रहने में मदद देती है-- जैसे पता करना कि तूफान कहाँ जा रहा है, महीने पहले तैयारी करनी है क्या, घर-परिवार सुरक्षित हैं-नहीं।4. हम-आप क्या कर सकते हैं — जागरूक रहने के लिए पाँच सुझाव
- मौसम विभाग की आधिकारिक वेबसाइट, चेतावनी संदेश नियमित देखें — जैसे अगर “हरिकेन वॉर्निंग” जारी हुआ है तो तैयार रहें। Weather.gov
- तट-क्षेत्र में रहने वाले लोग विशेष रूप से सतर्क रहें — बाढ़, ऊँचे सागर-उछाल, तेज हवाएँ हो सकती हैं।
- घर-पर परिवार-सदस्यों को तैयार रखें — बिजली कट सकती है, पानी बंद-हो सकता है, रिहायशी स्थान बदलने पड़ सकते हैंसंचार चैनल रखें — मोबाइल चार्ज रखें, बैकअप बैटरी, रेडियो आदि प्रस्तुत रखें ताकि सूचना मिलती रहे।
अपनी योजनाएँ बनाएं — अगर तूफान “आपकी दिशा में” है तो समय रहते सुरक्षित स्थान पर जाएँ। ट्रैकिंग देखकर मोटा अंदाज़ा पा सकते हैं कि खतरा कब-कहाँ अधिक हो सकता है।।🌪️ भारत में हरिकेन जैसा तूफान — “चक्रवात मोचा” का उदाहरण
अब देखो, हमारे यहाँ "हरिकेन" नहीं बल्कि "साइक्लोन" या "चक्रवात" कहा जाता है — पर काम और असर वही होता है।
मई 2023 में बंगाल की खाड़ी से उठे तूफान "चक्रवात मोचा" ने दिखाया कि आधुनिक ट्रैकिंग टेक्नोलॉजी कितनी जरूरी है।
1️⃣ शुरुआत कहाँ से हुई
मोचा की शुरुआत बंगाल की खाड़ी के गर्म पानी से हुई। वहाँ समुद्र का तापमान करीब 30°C था, यानी बहुत गर्म। यह गर्मी ऊपर उठी, नमी बनी और बादल घिरने लगे।
कुछ घंटों में दबाव तेजी से गिरा और वह सिस्टम “डीप डिप्रेशन” से “साइक्लोन” बन गया।
2️⃣ कैसे पता चला कि तूफान बनेगा
- INSAT-3D और INSAT-3DR सैटेलाइट्स ने सबसे पहले दिखाया कि बादलों का गुच्छा तेजी से घूम रहा है।
- इसके बाद IMD (भारत मौसम विभाग) ने उसे “मॉनिटरिंग ज़ोन” में डाल दिया।
- फिर कंप्यूटर मॉडल्स (GFS, ECMWF) ने डेटा दिखाया कि यह तूफान म्यांमार की तरफ बढ़ सकता है।
- लगातार अपडेट के बाद “IMD” ने आधिकारिक चेतावनी जारी की कि यह तूफान भारत के तटीय हिस्सों को भी छू सकता है।
3️⃣ कौन-कौन डेटा जुटा रहा था
- सैटेलाइट्स: ऊपर से लाइव तस्वीरें
- शिप्स और बॉयज़ (समुद्री यंत्र): हवा, तापमान, तरंग की ऊँचाई
- IMD और ISRO: कंप्यूटर मॉडल व ट्रैकिंग सॉफ्टवेयर
- NDMA (राष्ट्रीय आपदा प्राधिकरण): राहत दल की तैयारी
4️⃣ किसे भेजा गया डेटा
➡ IMD → NDMA, राज्य सरकारें, मीडिया चैनल्स
➡ राज्य प्रशासन → ज़िलों को अलर्ट
➡ मीडिया → जनता को चेतावनी
➡ आम लोग → मोबाइल SMS और TV के माध्यम से अपडेट
5️⃣ नुकसान से कैसे बचा गया
क्योंकि ट्रैकिंग पहले से हो रही थी, इसलिए:
- हजारों लोगों को समय रहते सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया गया
- मछुआरों को समुद्र में न जाने की सलाह दी गई
- स्कूल-कॉलेज दो दिन पहले बंद कर दिए गए
- इस तैयारी की वजह से जान-माल का नुकसान बहुत कम हुआ
🌪️ FAQ – हरिकेन ट्रैकर से जुड़े सामान्य सवाल
1. हरिकेन क्या होता है?
हरिकेन एक शक्तिशाली समुद्री तूफान होता है, जो गर्म समुद्र के ऊपर बनता है। इसमें तेज़ हवाएँ, भारी बारिश और समुद्र में ऊँची लहरें होती हैं। कुछ जगहों पर इसे साइक्लोन या टाइफून कहा जाता है।
2. हरिकेन ट्रैकर क्या होता है?
हरिकेन ट्रैकर एक तकनीकी सिस्टम है जो तूफानों की दिशा, गति, और ताकत को ट्रैक करता है। इसमें सैटेलाइट, रडार, और कंप्यूटर मॉडल का इस्तेमाल होता है ताकि सही भविष्यवाणी की जा सके।
3. हरिकेन ट्रैकर कैसे काम करता है?
हरिकेन ट्रैकर सैटेलाइट से मिलने वाले इमेज, हवा के दबाव और तापमान जैसे डेटा को एकत्र करता है। फिर AI और कंप्यूटर मॉडल इन डाटा को प्रोसेस करके बताते हैं कि तूफान कहाँ जाएगा और कितना खतरनाक हो सकता है।
4. ये डेटा कहाँ से आता है?
डेटा कई स्रोतों से आता है —
- मौसम सैटेलाइट (जैसे INSAT, GOES)
- “Hurricane Hunter” विमान
- समुद्र में लगे सेंसर बॉयज़
- मौसम विभाग और ग्लोबल मॉनिटरिंग स्टेशन
5. हरिकेन ट्रैकर के डेटा को कौन इस्तेमाल करता है?
मौसम विभाग, सरकार, प्रशासन, मीडिया और आम लोग — सब इसका इस्तेमाल करते हैं। इससे चेतावनी जारी की जाती है ताकि लोगों को पहले से जानकारी मिल सके।
6. क्या भारत में भी हरिकेन ट्रैकिंग होती है?
हाँ, भारत में “IMD (India Meteorological Department)” और “ISRO” मिलकर साइक्लोन ट्रैकिंग करते हैं। हमारे यहाँ हरिकेन को “चक्रवात” कहा जाता है।
7. हरिकेन ट्रैकर की मदद से नुकसान कैसे कम होता है?
क्योंकि ट्रैकर पहले से बता देता है कि तूफान कब और कहाँ आएगा,
सरकार समय रहते लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेज देती है,
मछुआरों को चेतावनी दे दी जाती है,
और जान-माल का नुकसान कम होता है।
8. कौन-कौन सी वेबसाइट पर हरिकेन ट्रैक किया जा सकता है?
आप इन साइट्स पर लाइव हरिकेन ट्रैक कर सकते हैं:
- www.nhc.noaa.gov
- (National Hurricane Center)
- www.ventusky.com
- www.windy.com
- imd.gov.in
- (भारत के लिए)
9. क्या AI हरिकेन ट्रैकिंग में मदद करता है?
हाँ, आजकल Google और कई वैज्ञानिक संस्थान AI मॉडल का उपयोग करते हैं जो 15 दिन पहले तक के तूफान की दिशा और तीव्रता का अनुमान लगा सकते हैं।
10. अगर हरिकेन की चेतावनी मिले तो क्या करें?
- मौसम विभाग की सलाह ध्यान से सुनें
- तटीय क्षेत्रों से दूर रहें
- जरूरी सामान तैयार रखें
- मोबाइल चार्ज और रेडियो चालू रखें
- बच्चों और बुजुर्गों को सुरक्षित जगह पहुँचाएँ
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Dhananjay Singh
Professional Content Writer, Researcher & Visionary Storyteller
"तरक्की को चाहिए नया नज़रिया—और यह नज़रिया शब्दों से शुरू होता है।"
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