बिहार और युवा : रोज़गार की हकीकत और चुनावी उम्मीदें
Despite being home to the nation’s largest concentration of young people, Bihar grapples with a severe employment shortfall that has become the defining issu...

आज का बिहार, देश के सबसे अधिक युवा आबादी वाले राज्यों में गिना जाता है, जहां 58-60% लोग 25 साल से कम उम्र के हैं। ऐसे में जब भी चुनाव होते हैं, सबसे बड़ा मुद्दा बनता है - युवाओं के लिए रोजगार। 2025 के आए विधानसभा चुनावों में भी यही सवाल सबसे ज्यादा चर्चा में है: "क्या बिहार के युवा अपने ही राज्य में रोजगार और उज्ज्वल भविष्य की उम्मीद कर सकते हैं?नौकरियों की सच्चाई: हर युवा की ज़ुबानी बिहार के कॉलेज छात्र, खासकर वे जो पहली बार वोट देने जा रहे हैं, सरकारी नौकरियों की अनियमितता और बार-बार पेपर लीक, विलंबित परीक्षाओं को लेकर अपना गुस्सा जाहिर करते हैं। कई छात्रों का मानना है कि स्थायी रोजगार न मिलने के कारण लाखों युवाओं को अपना घर-परिवार छोड़कर दूसरे राज्यों में काम के लिए जाना पड़ता है।नीतीश सरकार की तरफ से 2025 चुनाव से पहले 12 लाख सरकारी नौकरियां देने का टारगेट रखा गया है, जिसमें अब तक लगभग 5.16 लाख युवाओं को जॉब मिल भी चुकी है और करीब 2 लाख भर्ती प्रक्रिया में हैं। लेकिन विपक्ष का कहना है कि सरकार के दावे और ज़मीनी हकीकत में लंबी खाई है; पुराने स्कीम्स की पारदर्शिता और व्यापक रोजगार सृजन पर भी सवाल उठ रहे हैं।विपक्ष और नई उम्मीदेंआरजेडी और अन्य विपक्षी दलों का कहना है कि यदि वे सत्ता में आते हैं तो युवाओं के लिए 1 मिलियन सरकारी नौकरी देना उनकी पहली प्राथमिकता है। साथ ही, 85% डोमिसाइल पॉलिसी, ITI और स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड जैसी योजनाओं की पारदर्शिता पर काम करेंगे।सरकारी स्कीम्स और ग्राउंड सच्चाई सरकार द्वारा 2025-26 के बजट में 1.4 लाख नई सरकारी पोस्ट शामिल करने का वादा, मंथली रिव्यू मीटिंग्स, और रोज़गार मेलों का आयोजन हो रहा है। लेकिन वास्तविक भर्ती प्रक्रिया की स्पीड, परीक्षा के रिजल्ट, और युवाओं को मिल रही जॉब्स की क्वालिटी अभी भी बड़ा सवाल बना हुआ है। शहरी इलाकों में यूथ अनएम्प्लॉयमेंट रेट सबसे ज्यादा है, जो राज्य और केंद्र सरकार - दोनों के लिए चिंता की बात है। बिहार के युवा क्या चाहते हैं? पारदर्शी और समय पर सरकारी भर्ती प्रक्रिया निजी क्षेत्रों में भी अधिक रोजगार के अवसर शिक्षा व्यवस्था में सुधार और व्यवहारिक कोर्सेस रोजगार के लिए पलायन की बजाय अपने राज्य में ही अवसर.
निष्कर्ष
बिहार का युवा आज बदलाव चाहता है—ऐसा बदलाव जो केवल वादों तक सीमित न रहे, बल्कि ग्राउंड लेवल पर दिखे। 2025 का चुनाव महज़ सत्ता परिवर्तन नहीं, बल्कि युवा सपनों और उनके भविष्य का भी चुनाव है। अगर आने वाली सरकारें रोजगार के मुद्दे पर सही रोडमैप लेकर काम करें, तो बिहार देश के टॉप डेस्टिनेशन में गिना जाएगा, जहां युवा सिर्फ सपने नहीं, उन्हें सच करने का हौसला भी रखते हैं।
बिहार रोज़गार और चुनाव 2025: महत्वपूर्ण सवाल-जवाब
Q-1: 2025 के बिहार चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा क्या है?
बिहार चुनाव 2025 में सबसे बड़ा मुद्दा युवाओं के लिए स्थायी और सम्मान जनक रोजगार है। युवाओं में बेरोज़गारी, भर्ती परीक्षाओं की अनियमितता और पलायन जैसी समस्याएँ टॉप एजेण्डा में हैं।
Q2: बिहार सरकार ने युवाओं के लिए कौन-कौन सी जॉब स्कीम शुरू की हैं?
सरकार ने “एक करोड़ नौकरी” का वादा किया है। छात्र क्रेडिट कार्ड, कौशल विकास ट्रेनिंग और मासिक बेरोजगारी भत्ता जैसी स्कीम्स शुरू की गई हैं। विपक्ष ने हर परिवार में एक सरकारी नौकरी देने का भी वादा किया है।
Q3: बिहार के युवा क्यों पलायन करते हैं?
स्थानीय सरकारी और निजी रोजगार की कमी, गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा संस्थानों की संख्या कम होने और बेहतर जीवन के अवसरों की चाह में बड़ी संख्या में युवा दूसरे राज्यों या विदेश पलायन करते हैं।
Q4: विपक्ष ने क्या मुख्य वादे किए हैं?
विपक्ष (मुख्यतः RJD/महागठबंधन) का वादा है, “हर परिवार को एक सरकारी नौकरी”। साथ ही, महिलाओं, छात्रों और गरीब वर्ग के लिए विशेष मिशन, शिक्षा और हेल्थ स्कीम्स देने का दावा किया गया है।
Q5: क्या बिहार में असल में रोजगार की स्थिति सुधर रही है?
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, पिछले 5-6 सालों में बेरोज़गारी दर थोड़ी कम हुई है। लेकिन अधिकतर नौकरियां कॉन्ट्रैक्ट/दैनिक आधार पर ही हैं, नियमित सरकारी और निजी नौकरियों का अनुपात बहुत कम रहा है।
Q6: क्या केंद्र और राज्य की नीतियों से युवाओं को राहत मिलेगी ?
कुछ हद तक सरकारी प्रयास हुए हैं—कौशल विकास व उद्योगों को बढ़ावा देने की नीति लाई गई है। फिर भी, बड़े पैमाने पर रोजगार और रुकावट रहित भर्ती प्रक्रिया के लिए अभी और प्रभावी कदम उठाना ज़रूरी है।
Q7: युवाओं की मुख्य मांगें क्या हैं?
समय पर और पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया, सरकारी और निजी दोनों सेक्टर में अधिक मौके, शिक्षा में सुधार, और स्थानीय स्तर पर विकास व रोज़गार—युवाओं की सबसे अहम मांगें हैं।
Dhananjay Singh
Professional Content Writer, Researcher & Visionary Storyteller
"तरक्की को चाहिए नया नज़रिया—और यह नज़रिया शब्दों से शुरू होता है।"
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